मंगलवार, 17 नवंबर 2015

"श्री दादू पंथ परिचय"(अ. १६)

#‎daduji‬॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =

अध्याय १६ ~
१९ आचार्य हरिराम जी ~ 
आचार्य हरिराम जी महाराज पूर्वाश्रम में भोजपुरा(जीवनेर) के गुर्जर गौड़ ब्राह्मण थे । आपने नारायणा दादूधाम दादूद्वारे के प्रतिष्ठित संत भूरारामजी से छोटी अवस्था में ही दादूमत की दीक्षा ली थी । अक्षराभ्यास करने के पश्‍चात् आपने अध्यायनार्थ श्रीदादू महाविद्यालय जयपुर में प्रवेश किया था । 
उक्त विद्यालय में आपने व्याकरण शास्त्र में मध्यमा, कलकत्ता विश्‍व विद्यालय की काव्यतीर्थ एवं हिन्दी विशेष योग्यता परीक्षार्थ अच्छी श्रेणी में उत्तीर्ण की थीं । इससे अतिरिक्त आपने दादू महाविद्यालय में रहकर वेदान्त शास्त्री के ग्रंथों का यथावत् अध्ययन किया था । और दो खडों की परीक्षा दी थी । पश्‍चात् नारायणा दादूधाम दादूद्वारे के पीठाचार्य रामलाल जी महाराज के रुग्ण हो जाने से आपको परीक्षा से विरत होना पडा । फिर आप नारायणा दादूधाम दादूमंदिर के पुजारी नियुक्त हुये । 
आपके पुजारी होने के समय में ही श्रीदादू मंदिर नारायणा का सुन्दर संस्करण हुआ । अब उक्त मंदिर सुन्दर दर्शनीय है । नारायणा में समागत सभ्यों व अतिथियों के स्वागत सत्कार व पुस्तकालय का कार्यभार भी आप ही वहन करते थे । नरेना के सार्वजनिक कार्यों में भी आप प्रमुख रहते थे । नरेना में ‘सुन्दर जयन्ती’ उत्सव के सुन्दर आयोजन का भी श्रेय आपको ही था । इत्यादिक आपके श्‍लाघनीय कार्य हैं । आप सं. २००१ से वि. सं. २०२३ तक श्रीदादू मंदिर के पुजारी बने रहे और अपने कार्य का अच्छा निर्वाह किया । 
पीठाचार्य प्रकाशदेव जी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर दादूपंथी समाज ने वि. सं. २०२३ द्वितीय श्रावण शु. ५ शनिवार को आचार्य गद्दी पर आपको बैठाया । तब से आप आचार्य गद्दी पर विराजकर समाज का संचालन कर रहे हैं । आप श्रीदादूवाणी की कथा करते हैं । दादूवाणी की कथा का तो आचार्य परंपरा से नियम है आचार्य स्वयं करें या अन्य कथावाचक करें । दादूवाणी की कथा प्रतिदिन बारह मास होती ही है । अत: दादूवाणी, श्रीमद्भपगवत, श्रीद्भगवत गीता आदि की कथायें आप करते हैं, व्याख्यान, प्रवचन भी करते हैं । अच्छे विद्वान हैं । आपने जयपुर तथा आंधी ग्राम के सेवकों व विशेषकर सौंकियों में चातुर्मास करके तथा उन सेवकों में भ्रमण करके उन लोगों को गुरुद्वारा दादूधाम व समाज की सेवा में लगाया है । उक्त सेवकों में दादूद्वारे की विशेष भक्ति का कारण आपकी प्रेरणा ही है । स्वर्गीय जयपुर नरेश मानसिंह जी द्वितीय के स्वर्गवास होने पर महारानी गायत्री देवी के आमंत्रण पर राज्य व समाज पद्धति नियम व सत्कार के अनुरुप राजग्रह में ससम्मान जाकर समयोचित आशीर्वचन आपने दिया था । 
(क्रमशः)

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