रविवार, 15 नवंबर 2015

卐 प्रभात प्रार्थना 卐

💐💐 ‪#‎daduji‬ 💐💐
💐💐 卐 सत्यराम सा 卐 💐💐
卐 प्रभात प्रार्थना 卐
_//\\_ अनुपम प्रसाद _//\\_
स्वर ~ संत श्री राम भक्त दास स्वामी
प्रेरणा प्रवाह ~ _/\_ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज_/\_

ऑडियो लिंक ~ http://picosong.com/6SDB

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करि मन उनि संतनि की सेवा
जिन कै आन भरौसा नाहीं, भजहिं निरंजन देवा (टेक)
सील संतोष सदा उर जिनकै, राम नाम के लेवा 

जीवत मुक्त फिरै जग महिंया, उरझै कौ सुरझेवा ।।१।।
जिनके चरण कंवल कौ बंछत, गंगा जमुना रेवा 

सुन्दरदास उनहुं संगति, मिली हैं अलख अभेवा ।।२।।
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जियरा ! राम भजन कर लीजे ।
साहिब लेखा माँगेगा रे, उत्तर कैसे दीजे ।।टेक।।
आगे जाइ पछतावन लागो, पल पल यहु तन छीजे ।
तातैं जिय समझाइ कहूँ रे, सुकृत अब तैं कीजे ।।१।।
राम जपत जम काल न लागे, संग रहै जन जीजे ।
दादू दास भजन कर लीजे, हरि जी की रास रमीजे ।।२।।
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आज प्रभात मिले हरि लाल ।
दिल की व्यथा पीड़ सब भागी, मिट्यो जीव को साल 
।।टेक।।
देखत नैन संतोष भयो है, इहै तुम्हारो ख्याल ।। १।।
दादू जन सौं हिल - मिल रहिबो, तुम हो दीन दयाल ।। २ ।।
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आओ मिल मंगल गाओ मोरी सजनी,
भयो परभात बीत गयी रजनी ।
बीत गयी आज की, या बीत गयी रजनी ….
इरद उरद फूली फुलवारी, ता मेरी मनसा करे रखवारी ।
नाचत गावत और बहु बहना, सद्गुरु शब्द ह्रदय धर लीना ।
सींचत बेल अमर फल लागा, चाखेगा कोइ संत सुजाना ।
कहे कबीर गूंगे की सेना, राम अमल चाखे दोय नैना ।
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इहि विधि आरती राम की कीजे, 

आत्मा अंतर वारणा लीजे ।। टेक ।।
तन मन चन्दन प्रेम की माला, 
अनहद घंटा दीन दयाला ।
ज्ञान का दीपक पवन की बाती, 
देव निरंजन पाँचों पाती ।
आनन्द मंगल भाव की सेवा, 
मनसा मन्दिर आतम देवा ।
भक्ति निरन्तर मैं बलिहारी, 
दादू न जानै सेव तुम्हारी ।
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आरती दादू दास तुम्हारी, 
तुम पुरवौ सद्गुरु आस हमारी ।। टेक ।।
प्राण पिंड न्यौछावर कीजै, 
प्रसन्न होय परम सुख दीजै ।। १।।
प्रफुल्लित प्राण मुदित गुण गांऊं, 
दीन होय चरणों चित लाऊँ ।।२।।
द्रवो देव दयानिधि स्वामी, 
सकल शिरोमणि अंतरयामी ।।३।।
विनती येही करौं जिन दूरी, 
चैन कहै मोहि राखो हजूरी ।।४।।
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कैसे तुम तेजोमय तखत दिखायो नाथ,
आगरा निकट शहर सीकरी अकबर कूं ।
बादशाह बोल्यो मैं तो दादूजी खुदा ही जानूं,
ऐसा वचन कह्या सो तो मुश्किल ताहि अकबर कूं ।।१।।
बादशाह-वीरबल के संशय सब दूर किये,
अधर्म छुडाये स्वामी धर्म विस्तार्यो है ।
कैसे तुम सांभर में सात नूता जीम्या प्रभु,
कैसे तुम चीरी हूँ के अंक पलाटायो है ।।२।।
कैसे तुम नागर निजाम हूँ की मेटी ताप,
बैठे गोबिन्द गाये प्रसाद ही सू पायो है ।
खाटू गजराज माथो आय के झुकाय दीयो,
सूंड सूं चरण छूए शीश जु नवायो है ।।३।।
सात सो ही साहूकार सात कोटी माल भर्यो,
सिंधु बीच आय करी जहाज अड़ गयो है ।
हिंगोल-कपिल बोले दादूजी को धरो ध्यान,
सब मिल टेर करी सागर पार भयो है ।।४।।
केदार देश टापू मांही नृपति आराध कीयो,
अन्न-जल त्याग दीयो नर-नारी सब ही ।
हाहाकार भयो जब अंबावती सुन्यो तब,
वेग ही पधारे स्वामी दुःख मतयो सब ही ।।५।।
विडद तिहारो जान दीं भयो शरणे आय,
लाज हू शरम मेरी तुम ही को सब ही ।
अनेक उद्धार दिए अनेक कारज किए,
"केवल दास" भक्ति मांगे सब गुण अब ही ।।६।।
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दादूजी को सेवक हूँ. दादूजी सहाय मेरे,
दादूजी को ध्यान धरूँ, दादू मेरे धन हैँ ।
दादूजी रिझाऊँ नित, नाम लेऊँ दादूजी को,
दादू गुण गाऊँ, मेरे दादू को प्रन है ।।
दादूजी सोँ रातो रस, मातो रहूँ दादूजी सोँ,
दादूजी आधार मेरे, दादू तन मन हैँ ।
'राघौदास' कहै, मो भरोसो एक दादूजी को,
दादूजी सोँ काम, दादू अघ के हरन है ।।
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वेदन में सामवेद स्मृति मांहि गीता सार 

पुराण मांहि भागवत तत्व के समान है 

देवन में इंद्रराज तरन में चन्द्र राज 

वृक्षन में कल्पवृक्ष पशु सिंह जानिये ।। १।।
तीरथ में गंगा जैसे सागर में रत्नाकर 

पक्षीं में गरुड गुणानुवाद ठानिये 

कहै शाह अक्ब्बर, सुनो मियां तानसेन 

संतन में ऐसे सत्त गुरु, दादूजी प्रमाणिये ।। २।।
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करौली के देश माहीं रामत कारन काज,
स्वामीजी पधारे तहां निकंदन काल के ।
जहां जहां जाय तहां तहां दादू दादू कहैं,
ये ही बैन प्रिय लागे मन में कृपाल के ।
यध्यपि अदेह राम देह धारि ठाढ़े भये,
ओत प्रोत भयो मानौ, स्वामी जन लाल के ।
राम कहै दादू कहो, दादू कहै राम कहौ,
'दादूराम' 'दादूराम' रटो क्यों न बालके
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दादूजी दयाल राम, शरण तुम्हारी राम
माला फेरूँ थारी राम, सहाय करज्यौ म्हारी राम
लज्जा राखो म्हारी राम, तूही बाबा दादूराम
शेष बाबा सत्यराम, सत्यराम संवारे काम
बाहर भीतर आतम राम, आतम राम से लगी लगन
मनवा रहता तभी मगन ........

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