॥ दादूराम सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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४२८. कर्ता कीर्ति । त्रिताल ~
काइमां कीर्ति करूंली रे, तूँ मोटो दातार ।
सब तैं सिरजीला साहिबजी, तूँ मोटो कर्तार ॥ टेक ॥
चौदह भुवन भानै घड़ै, घड़त न लागै बार ।
थापै उथपै तूँ धणी, धनि धनि सिरजनहार ॥ १ ॥
धरती अंबर तैं धर्या, पाणी पवन अपार ।
चंद सूर दीपक रच्या, रैणि दिवस विस्तार ॥ २ ॥
ब्रह्मा शंकर तैं किया, विष्णु दिया अवतार ।
सुर नर साधू सिरजिया, कर ले जीव विचार ॥ ३ ॥
आप निरंजन ह्वै रह्या, काइमां कौतिकहार ।
दादू निर्गुण गुण कहै, जाऊँली हौं बलिहार ॥ ४ ॥
टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव ईश्वर का यश गायन करते हैं कि हे सृष्टि - कर्ता, सर्व - शक्तिवान, सर्वज्ञ, अचल, परमेश्वर ! मैं आपकी कीर्ति का क्या वर्णन कर सकता हूँ ? हे साहिब ! आपने ही तीन लोक और चौदह भुवन में सम्पूर्ण सृष्टि रची है, ऐसे आप महान् कर्ता हैं । आप ऐसे समर्थ हैं कि एक क्षण में चौदह भुवन को नाश करके पुनः उत्पन्न कर देते हो । इनको बनाने के लिए आपको किंचित् भी समय नहीं लगता है । आप ही सबको स्थापित करने वाले और उखाड़ने वाले स्वामी हैं । हे सृष्टि - कर्ता परमेश्वर ! आपको धन्य है, धन्य है । आपने पृथ्वी और आकाश को बनाकर धारण किया है । हे अपार ! आपने ही पानी और पवन बनाया है । चन्द्रमा और सूर्य रूपी दो दीपक आपने रचे हैं । फिर रात्रि और दिन का विस्तार किया है । सृष्टि रचयिता ब्रह्मा, संहार - कर्त्ता शंकर, पालन - कर्ता विष्णु, इन सबको आपने ही रचे हैं समय - समय पर विष्णु अवतार आप ही देते रहते हैं । सुर - देवता, नर - नारद आदि और साधना करने वाले साधु, इन सबको आपने ही सिरजे हैं, अर्थात् उत्पन्न किये हैं । हे हमारे जीव ! तूँ भी ऐसे समर्थ परमेश्वर का विचारपूर्वक नाम स्मरण कर ले । हे जीव ! वह आप स्वयं समर्थ परमेश्वर, सबको रचकर निरंजन निराकार रूप हो रहे हैं । ऐसा वह आप कौतिकहार, सृष्टि - कर्ता परमेश्वर है । ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव कहते हैं कि वह निर्गुण स्वरूप हैं, फिर भी संत भक्तों की सेवार्थ सगुण रूप में अवतरित होता है, ‘यदा यदा हि धर्मस्य’, परन्तु सत् शास्त्र और सच्चे संत - भक्त उनके गुणों का वर्णन करते रहते हैं । हम उनकी बार - बार बलिहारी जाते हैं ।
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