मंगलवार, 19 जनवरी 2016

= १८९ =

卐 सत्यराम सा 卐
दादू सम कर देखिये, कुंजर कीट समान ।
दादू दुविधा दूर कर, तज आपा अभिमान ॥ 
आत्मराम विचार कर, घट घट देव दयाल ।
दादू सब संतोंषिये, सब जीवों प्रतिपाल ॥ 
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------= आत्मा की शुद्धि =------

महाराजकुमार नेमि का राजकुमारी राजल के साथ विवाह हो रहा था। बारात पूर्ण वैभव से जा रही थी। जूनागढ़ राज्य की सीमा में बारात प्रविष्ट हुई और बारातियों का स्वागत होने लगा।
सहसा महाराजकुमार की दृष्टि बंधे हुए पशुओं की ओर गयी। पूछने पर मालूम हुआ कि ये सब बरात के भोज के लिये काटे जाएंगे। राजकुमार का हृदय विकल हो उठा। वह रथ से नीचे उतरे। उन्होंने विवाह का विचार छोड़ा और घोर तप करके अपनी आत्मा की शुद्धि की तथा ज्ञान प्राप्त किया। महाराजकुमार नेमि भगवान नेमिनाथ के रूप में जैनों द्वारा पूजित हैं। 

साभार -- संगीता मिश्र !




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