卐 सत्यराम सा 卐
दादू रंग भर खेलौं पीव सौं, तहँ कबहुँ न होइ वियोग ।
आदि पुरुष अन्तर मिल्या, कुछ पूरबले संयोग ॥
दादू रंग भर खेलौं पीव सौं, तहँ बारह मास बसंत ।
सेवग सदा आनन्द है, जुग जुग देखूँ कंत ॥
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साभार ~ S.k. Chopra ~ रंगपंचमी
स्थूल शरीर को रंग लगाना ये अर्थ नहीं क्यू की हम सब आत्मा हैं शरीर नहीं।
इससे तो अल्पकाल का आनंद मिलता है। और कभी किसीको नुकसान भी होता हैं।
लेकिन ईश्वरीय रंग माना उसके सात गुण से आत्मा को, सबको सदाकाल का सुख मिलता और हमसे ओंरोको भी सुख मिलता हैं। सिर्फ 1 दिन नही सदा एक दुसरे को गुणों का रंग लगाना ।
आत्मा को परमात्मा के सातरंग- गुणों से सजाना हैं ।
प्रेम, आनंद, शांति, शक्ति, सुख, ज्ञान, पवित्रता
Colour Ourselves with the real colours
7 Satrang - with real values
White - Purity, पवित्रता
Blue - Peace, शांती
Indigo - Knowledge, ज्ञान
Red - Power, शक्ती
Yellow - Happiness, आनंद
Green - Bliss, सुख, (संपन्नता)
Pink - Love, प्रेम
Happy Rangpanchmi
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