॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥
"श्री दादू अनुभव वाणी" टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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= स्मरण का अँग २ =
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सहजैं ही सब होइगा, गुण इन्द्री का नाश ।
दादू राम संभालताँ, कटैं कर्म के पाश१ ॥१३॥
राम - नाम का निरँतर स्मरण करने से, निर्गुण ब्रह्म की प्राप्ति में बाधक त्रिगुण और उनके कार्य, अन्त:करण इन्द्रियों के सब विकारों का नाश अनायास ही हो जायगा तथा ज्ञान द्वारा कर्म के बन्धन१ कट कर मुक्त हो जाएगा ।
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चेतावनी
राम नाम गुरु शब्द से, रे मन पेल भरँम ।
निहकरमी से मन मिल्या, दादू काट करँम ॥१४॥
भ्रम दूर करने से लिये सावधान कर रहे हैं - अरे साधक ! राम नाम चिन्तन से अपने मन को शुद्ध और स्थिर बना कर गुरु के ज्ञान पूर्ण शब्दों के विचार से अज्ञान को हटा । इस प्रकार ही कर्म - बन्धन को काट कर हमारा मन निष्क्रिय ब्रह्म से मिला है ।
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नाम चेतावनी
एक राम के नाम बिन, जीव की जलन न जाइ ।
दादू केते पचि मुए, करि करि बहुत उपाइ ॥१५॥
१४ - १५ में नाम स्मरणार्थ सावधान कर रहे हैं - त्रिविध भेद शून्य निर्गुण राम के नाम - स्मरण बिना अन्य उपायों से जीव के त्रिविध ताप नष्ट नहीं होते । अनेक सकामी साधक यज्ञ व्रतादिक बहुत - से उपाय करते - करते मृत्यु को प्राप्त हो गये हैं किन्तु उन्हें अखँड ब्रह्मानन्द प्राप्त नहीं हो सका ।
(क्रमशः)
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