🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - श्रीसुन्दर ग्रंथावली
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
.
*= ज्ञानसमुद्र ग्रन्थ ~ चर्तुथ उल्लास =*
.
🌷🙏🇮🇳 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - श्रीसुन्दर ग्रंथावली
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
.
*= ज्ञानसमुद्र ग्रन्थ ~ चर्तुथ उल्लास =*
.
शिष्य उवाच ~ हंसाल
*हे प्रभु कह्यौ तुम पुरुष चेतन्यमय,*
*बहुरि ऐसैं कह्यौ भिन्न जांनौं ।*
*समुझि कै प्रकृति जड रुप करि कैं कही,*
*जगत कैसैं भयौ सो बखांनौं ॥६॥*
(शिष्य पूछता है-) आपने अभी कहा कि पुरुष चैतन्ययुक्त है, फिर कहा कि वह जड से अलिप्त उदासीन रहता है अत: उससे भिन्न है । उधर कहा कि प्रकृति जड है (वह स्वयं कोई कार्य नहीं कर सकती), तब प्रश्न उठता है- यह जगत्(संसार) कैसे बना, जब कि इसका कोई उपादान कारण ही नहीं है ? ॥६॥
*हे प्रभु कह्यौ तुम पुरुष चेतन्यमय,*
*बहुरि ऐसैं कह्यौ भिन्न जांनौं ।*
*समुझि कै प्रकृति जड रुप करि कैं कही,*
*जगत कैसैं भयौ सो बखांनौं ॥६॥*
(शिष्य पूछता है-) आपने अभी कहा कि पुरुष चैतन्ययुक्त है, फिर कहा कि वह जड से अलिप्त उदासीन रहता है अत: उससे भिन्न है । उधर कहा कि प्रकृति जड है (वह स्वयं कोई कार्य नहीं कर सकती), तब प्रश्न उठता है- यह जगत्(संसार) कैसे बना, जब कि इसका कोई उपादान कारण ही नहीं है ? ॥६॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें