गुरुवार, 30 जून 2016

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卐 सत्यराम सा 卐
बहु गुणवंती बेली है, मीठी धरती बाहि ।
मीठा पानी सींचिये, दादू अमर फल खाहि ॥ १२ ॥ 
टीका ~ हे जिज्ञासु ! मनुष्य की बुद्धिरूपी बेली बहुत गुणवान है । इसको सत्संग रूपी मीठी धरती में लगाइये और फिर निष्काम नाम - स्मरण रूपी मीठे जल से सींचिये । फिर उस बुद्धि रूप बेली का ज्ञान अमृत रूपी फल खाकर साधक जीवन मुक्त हो जाता है ॥ १२ ॥ 

अमृत बेली बाहिये, अमृत का फल होइ ।
अमृत का फल खाइ कर, मुवा न सुणिया कोइ ॥ १३ ॥ 
टीका ~ हे जिज्ञासु ! अन्तर्मुख विवेक - बुद्धि रूप बेली को, निष्काम भक्ति में लगाइये, तो फिर उस बुद्धि रूप बेली के ज्ञानरूपी अमृत फल लगेगा । उसको भक्षण करने वाले उत्तम साधक, न तो कोई मरे हैं और न आगे मरेंगे । जीवन - मुक्त हो जावेंगे ॥ १३ ॥ 
(श्री दादूवाणी ~ बेली का अंग)
चित्र सौजन्य ~ Jeetlal Rajbanshi

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