रविवार, 5 जून 2016

= १८८ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू सुमिरण सहज का, दीन्हा आप अनंत ।
अरस परस उस एक सौं, खेलैं सदा बसंत ॥ 
दादू शब्द अनाहद हम सुन्या, नखसिख सकल शरीर ।
सब घट हरि हरि होत है, सहजैं ही मन थीर ॥ 
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साभार ~ Kripa Shankar B Mudgal ~ 
'राम' नाम और 'ॐ' की ध्वनि दोनों एक ही है :----
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कुछ संतों ने संस्कृत व्याकरण और आध्यात्मिक साधना दोनों से ही सिद्ध किया है कि तारक ब्रह्म 'राम' और 'ॐ' की ध्वनि दोनों एक ही हैं|
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संस्कृत व्याकरण की दृष्टी से -----
राम = र् + आ + म् + अ |
= र् + अ + अ + म् + अ ||
हरेक स्वर वर्ण पुल्लिंग होता है अतएव पूरा स्वतंत्र होता है| इसी तरह हर व्यंजन वर्ण स्त्रीलिंग है अतः वह परतंत्र है|
'आद्यन्त विपर्यश्च' पाणिनि व्याकरण के इस सूत्र के अनुसार विश्लेषण किये गए 'राम' शब्द का 'अ' सामने आता है| इससे सूत्र बना --- अ + र् + अ + अ + म् |
व्याकरण का यह नियम है कि अगर किसी शब्द के 'र' वर्ण के सामने, तथा वर्ण के पीछे अगर 'अ' बैठते हों, तो उसका 'र' वर्ग 'उ' वर्ण में बदल जाता है|
इसी कारण राम शब्द के अंत में आने वाले र् + अ = उ में बदल जाते हैं|
इसलिए अ + र् + अ = उ
अर्थात उ + अ = ओ हुआ|
ओ + म् = ओम् या ॐ बन गए|
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इसी तरह 'राम' शब्द के भीतर ही 'ॐ' मन्त्र निहित है| राम शब्द का ध्यान करते करते राम शब्द 'ॐ' में बदल जाता है| जिस प्रकार से ॐकार मोक्ष दिलाता है, उसी तरह से 'राम' नाम भी मोक्ष प्रदान करता है| इसी कारण से 'राम' मन्त्र को तारकब्रह्म कहते हैं|
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जो साधक ओंकार साधना करते हैं और जिन्हें ध्यान में ओंकार की ध्वनी सुनती है वे एक प्रयोग कर सकते हैं| ध्यान में ओंकार की ध्वनी खोपड़ी के पिछले भाग में मेरु-शीर्ष (Medulla Oblongata) के ठीक ऊपर सुनाई देती है| यह प्रणव नाद मेरु-शीर्ष से सहस्त्रार और फिर समस्त ब्रह्माण्ड में फ़ैल जाता है| आप शांत स्थान में कमर सीधी रखकर आज्ञा चक्र पर दृष्टी रखिये और मेरुशीर्ष के ठीक ऊपर राम राम राम राम राम शब्द का खूब देर तक मानसिक जाप कीजिये| आप को ॐकर की ध्वनी सुननी प्रारम्भ हो जायेगी और राम नाम ॐकार में बदल जाएगा| कुछ समय के लिए कानों को अंगूठे से बंद कर सकते हैं| धन्यवाद| जय श्रीराम !
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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साभार ~ वेद ~ 

Ram and Aum:
Meditating on the name ॐ and meditating on the name राम (Ram) gives the same effects.

यथैव वटविजस्थ प्राकृतश्च महाद्रुमः |
तथैव रममन्त्रस्थ विद्यते चराचरं जगत् ||

“As the leaves branches flower fruit of banyan tree are latent in its seed, likewise the universe is latent in the name RAM”

If we decompress the word ram we get:

राम = र्+आ+म्+अ = र् +अ+अ+म्+अ

Swara Varna is male and independent; Vyanjan Varna is female and dependent. According to the rule of Panini Grammar “आद्यन्त विपर्ययश्च” in the decompress “राम” अ comes infront so it becomes= अ+र्+अ+अ+म्

Now र् +अ=उ 
उ+अ=ओ 
ओ+म् = ॐ 

So finally we get राम= ॐ 

This is how the ॐ is hidden in the word राम

We know that ॐ called the Pranava, a Sanskrit word which means both controller of life force (prana) and life-giver (infuser of prana). ॐ is the Brahman [Katha Upanshad-1.2.15,16,17; Chāndogya Upanishad 1.1.1-1; The Bhagavad Gitā 8.13, 17.23]. One who meditates on ॐ will attain Brahman; Ram is the same as ॐ so one who meditates on Ram will attain the Brahman also. This is the reason राम (Ram) word is called तारकब्रह्म (tarak Brahma).

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