🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*सर्वांगयोगप्रदीपिका१(ग्रन्थ२) ~ प्रथम उपदेश*
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*सांख्यशास्त्रप्रवक्ता आचार्य*
*ॠषभदेव अरु कपिल मुनि, दत्तात्रेय वशिष्ट ॥*
*अष्टाबक्र रु जडभरत, इन कै सांख्य सुदृष्ट ॥५॥*
श्री ॠषभदेव, श्री कपिलमुनि, श्री दत्तात्रेय, वशिष्ठमुनि, अष्टावक्र- इन आचार्यों ने स्वयं साक्षात्कार कर समय-समय पर सांख्य शास्त्र का प्रवचन किया है ॥५॥
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*सब सन्तों का एकमत*
*महापुरुष जे इन मतै, तिनकी मैं बलि जाउं ॥*
*मारग आये दश दिशा, पहुँचे एकहिं गाउं१ ॥६॥*
{१-तुलना कीजिये-
‘‘जे पहुँचे ते कहि गये, तिनकी एकै बात ।
सबै सयाने एक मत, उनकी एकै जात’’ ॥
श्रीदादूवाणी (१३-१६०)}
इन उपर्यक्त महापुरुषों जैसे सज्जनों की मैं बलिहारी जाता हूँ; क्योंकि ज्ञानोपदेश के रास्ते भले ही इन सब के अलग-अलग रहे हों पर लक्ष्य इन सबका एक ही था । और वह था ब्रह्म साक्षात्कार । जैसे गाँव को सब तरफ(सब दिशाओं) से आने वाले रास्तों का लक्ष्य एक ही होता है उस गाँव तक पथिक को पहुँचाना; उसी तरह ये महापुरुष भी अपने-अपने सिद्धान्तोपदेश से जिज्ञासु को ब्रह्म-साक्षात्कार ही चाहते थे, और कुछ नहीं ॥६॥
(क्रमशः)
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