卐 सत्यराम सा 卐
पहले हम सब कुछ किया, भरम करम संसार ।
दादू अनुभव उपजी, राते सिरजनहार ॥
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साभार ~ हमारा पन्ना ~ अपना पता
स्वामी रामतीर्थ विदेश यात्रा से लौटे। टिहरी गढ़वाल के राजा उनके बड़े भक्त थे। उन्होंने स्वामी रामतीर्थ से अनुरोध किया- “कोई ऐसा मार्ग बताएं जिससे मुझे परमात्मा के साक्षात दर्शन हो जाएं।”
रामतीर्थ ने कहा- “आपको परमात्मा के दर्शन करवा दूंगा। आप बस अपना नाम और पता दे दें ताकि मैं वह परमात्मा तक पहुंचा दूं।”
राजा ने अपना नाम और पता लिखकर उन्हें दे दिया।
तब रामतीर्थ ने पूछा कि- “यह पता स्थायी है ना?”
राजा के हां कहने पर उन्होंने सवाल किया- “क्या आप 60 साल पहले यहीं थे और क्या 50 साल बाद भी आपका पता यही रहेगा?”
राजा ने हैरान होकर कहा- “क्या बात करते हैं आप? 60 साल पहले तो मेरा जन्म ही नहीं हुआ था और 50 साल बाद मैं रहूंगा कि नहीं यह कौन जानता है।”
स्वामी जी ने कहा- “जब आपको अपना ही पता नहीं, तब परमात्मा का पता कैसे पाएंगे? पहले अपना पता कर लें, परमात्मा के दर्शन अपने आप हो जाएंगे।”
तत्व यह कि... जब तक आत्मा की वर्णमाला न सीख लेंगे परमात्मा के विशद् ज्ञान तक कैसे पहूँच पाएँगे।
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