रविवार, 31 जुलाई 2016

= सर्वांगयोगप्रदीपिका(प्र.उ. ४१/२) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज* 
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान 
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI 
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*सर्वांगयोगप्रदीपिका१(ग्रन्थ२) ~ प्रथम उपदेश*
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*केचित् मरहिं खड्ग की धारा ।*
*नृपति हौंन के काज गंवारा ।*
*केचित् मगर-भोज तन करहीं ।*
*झंपापात देह परिहरहीं ॥४१॥*
कुछ लोग अगले जन्म में राजा बनने के लिये तलवार की धार से मरना कबूल करते हैं । कुछ लोग तपस्या के बहाने जल में डूब कर अपना शरीर मगरमच्छ को खिला देते हैं । और कुछ लोग हैं कि अपने आप को पिटारी में बन्द कराकर प्राण त्याग देते हैं ॥४१॥
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*केचित् जाइ हिंवारै सीझैं ।*
*मन की मूठी तहां अति रीझैं ।*
*केचित् गरा सारि तन त्यागैं ।*
*यातै कछू पाइ हैं आगैं ॥४२॥*
कोई हिमालय में जाकर अपने को गला देते हैं, इस तरह करते हुए वे मन में बहुत प्रसन्न होते हैं । कुछ अपनें शरीर काट कर सन्तोष पा लेते हैं कि सम्भव है इस कार्य से हमें इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में जरुर मोक्ष मिल जायगा ॥४२॥
(क्रमशः)

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