卐 सत्यराम सा 卐
दादू राजिक रिजक लिये खड़ा, देवे हाथों हाथ ।
पूरक पूरा पास है, सदा हमारे साथ ॥
हिरदै राम सँभाल ले, मन राखै विश्वास ।
दादू समर्थ सांइयां, सब की पूरै आस ॥
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साभार ~ Jaya Pathak
एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवो में घूम रहा था, घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया,,, उसने अपने मंत्री को कहा कि, पता करो की इस गाँव में कौन सा दर्जी हैं,जो मेरे बटन को सिल सके,,, मंत्री ने पता किया ,, उस गाँव में सिर्फ एक ही दर्जी था,, जो कपडे सिलने का काम करता था,,, उसको राजा के सामने ले जाया गया,, राजा ने कहा,कय़ा तुम मेरे कुर्ते का बटन सी सकते हो,,, दर्जी ने कहा,यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है,,, उसने मंत्री से बटन ले लिया,,, धागे से उसने राजा के कुर्ते का बटन फोरन सी दिया,,, क्योंकि बटन भी राजा के पास था,,
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सिर्फ उसको अपना धागे का प्रयोग करना था,,, राजा ने दर्जी से पूछा कि,, कितने पैसे दू ,,,
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उसने कहा, महाराज रहने दो,,, छोटा सा काम था,, उसने मन में सोचा कि,बटन भी राजा के पास था,, उसने तो सिर्फ धागा ही लगाया हैं,,,
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राजा ने फिर से दर्जी को कहा, कि,,, नहीं नहीं बोलो कितनीे माया दू,,, दर्जी ने सोचा कि,, 2 रूपये मांग लेता हूँ,,, फिर मन में सोचा कि;कहीं राजा यह ने सोचलें, कि ,,, बटन टाँगने के मुझ से 2 रुपये ले रहा हैं,,, तो गाँव वालों से कितना लेता होगा,,, क्योंकि उस जमाने में २ रुपये की कीमत बहुत होती थी,,,
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दर्जी ने राजा से कहा, कि,, महाराज जो भी आपको उचित लगे वह दे दो,, अब था तो राजा ही,,उसने अपने हिसाब से देना था,
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कहीं देने में उसकी पोजीशन ख़राब न हो जाये,,, उसने अपने मंत्री से कहा कि,, इस दर्जी को २ गाँव दे दों, यह हमारा हुकम है ,,,
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कहाँ वो दर्जी सिर्फ २ रुपये की मांग कर रहा था,, और कहाँ राजा ने उसको २ गाँव दे दिए ,, जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ देते हैं, तो वह अपने हिसाब से देता हैं,, सिर्फ हम मांगने में कमी कर जाते है,,, देने वाला तो पता नही क्या देना चाहता हैं,,, इसलिए संत-महात्मा कहते है,,, प्रभु के चरणों पर अपने आपको -अर्पण कर दों,, फिर देखो उनकी लीला,,...
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