मंगलवार, 5 जुलाई 2016

= सर्वांगयोगप्रदीपिका(प्र.उ. ७/८) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज* 
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान 
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI 
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*सर्वांगयोगप्रदीपिका१(ग्रन्थ२) ~ प्रथम उपदेश*
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*भक्तियोग, हठयोग, सांख्ययोग के भेद*
*भक्तियोग है चारि बिधि, चहूं बिधि हठ हू जांनि ॥*
*चतुर्भांति आचरयनि, सांख्यसु कह्यौ बखांनि ॥७॥*
उपर्यक्त तीनों योगों में से भक्तियोग का आचार्यों ने चार प्रकार से वर्णन किया है । हठयोग को भी आचार्यों ने चार प्रकार का ही माना है । एवं सांख्याचार्यों ने सांख्य को भी चार प्रकार का ही माना है । (आगे का प्रसंग देखने पर यहाँ श्रीसुन्दरदासजी का सांख्य-योग से तात्पर्य ब्रह्मज्ञानयोग मत से है- ऐसा मालूम पडता है) ॥७॥
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*भक्तियोगवर्णन*
*प्रथम भक्ति अरु मंत्र लय, चर्चा सहित सुनाइ ॥*
*भिन्नै भिन्न प्रकार करि, आगै कहि हौं जाइ ॥८॥*
पहले भक्तियोग के चार भेद हैं-१. भक्तियोग, २. मन्त्रयोग, ३. लययोग तथा ४. चर्चायोग । इन सब का वर्णन आगे चलकर विस्तार के साथ अलग-अलग करूँगा ॥८॥
(क्रमशः)

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