गुरुवार, 4 अगस्त 2016

= सर्वंगयोगप्रदीपिका (प्र.उ. ४९/५०) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*सर्वांगयोगप्रदीपिका१(ग्रन्थ२) ~ प्रथम उपदेश*
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*केचित् आफू पोसत भंगी ।*
*निपट मूढ मति आहि तरंगी ॥*
*ऐसैं भ्रम सु कहां लग कहिये ।*
*सँमुझि सँमुझि गुरु के पग ग्रहिये ॥४९॥* 
कुछ मूर्ख(जडमति) अफीम या अफीम के पौधे की छाल व फल, तथा भाँग खाकर नशे में धुत रहने में ही जीवन्मुक्त होने का दम्भ करते हैं । दुनिया में, पता नहीं, ऐसे कितने पाखण्ड फैले हुए हैं और कितने आदमी इस तरह की मक्कारी से अपना व अपने अनुयायीयों का जीवन चौपट कर रहे हैं । कहाँ तक गिनाऊँ ! हे शिष्य ! मेरा तो तुमसे यही कहना है कि इन पाखण्डों की और ध्यान न देकर किसी सच्चे गुरु की शरण में जाओ और उनसे मोक्ष-प्राप्ति का सही उपाय पूछो- इसी में तुम्हारा कल्याण है ॥४९॥
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*दोहा*
*बहुत भांति मत देखिकै, सुन्दर किया विचार ।*
*सद्गुरु के जु प्रसाद तें, भ्रमें नहीं सुलगार१ ॥५०॥*
{१- इस पूरे प्रकरण की तुलना कीजिये- #श्रीदादूवाणी (साँच को अंग, साखी ८५ से १६४ तक)}
इति श्रीसुन्दरदासविरचितायां सर्वांगयोगप्रदीपिकायां पंचप्रहारनामा प्रथमोपदेश: ॥
महाराज श्री सुन्दरदासजी कहते हैं-दुनिया में फैले सभी मतवादों पर गम्भीरता से विचार करने पर उनकी नि:सारता भली भाँति मालूम पड जाती है । सज्जन(समझदार) लोग सच्चे गुरु की कृपा से इन झूठे मतवादों में भटक कर अपना जीवन चौपट करने की भूल नहीं करते ॥५०॥
श्रीस्वामी सुन्दरदासजी कृत सर्वांगयोगप्रदीपिका ग्रन्थ में पंचप्रहार नामक प्रथम उपदेश समाप्त ॥
(क्रमशः)

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