🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*सर्वांगयोगप्रदीपिका१ (ग्रंथ२)*
*भक्तियोग नामक द्वितीय उपदेश*
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*राम मन्त्र महिमा*
*सहस्त्र नाम की कौंन चलावैं ।*
*नाम अनन्त पार कौ पावै ।*
*राम मन्त्र सबकै सिरमौरा ।*
*ताहि न कोउ पूजत औरा ॥१९॥*
बाद में उस रामनाम की स्तुति में पता नहीं कितने ‘सहस्त्रनाम’ स्तोत्र बने ! पर उसके नाम तो अनन्त है, उनका पार कौन पा सकता है ? यह राममन्त्र सब मन्त्रों का सिरमौर(चू़डामणि) है । इस मन्त्र को गुणों के वैशिष्टय में पीछे छोडने वाला कोई दूसरा हीं है ॥१९॥
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*राम मन्त्र सब मंहि तत सारा ।*
*और आहि जग के व्यौहारा ।*
*राम मन्त्र तें शिला तिरानी ।*
*पाथर कहा तिरै कहु पांनी ॥२०॥*
यों समझो कि यह राम मन्त्र सब मन्त्रों में तत्त्व(सार) भूत है । और इसी के सहारे सारा जगद्व्यवहार चल रहा है । कहते हैं- इसी राममन्त्र के सहारे शिलायें(बडे-बडे पत्थर) तर गयी थीं । (रामायण में कथा आती है कि लंका जीतने के लिये समुद्र पर पुल बाँधने के लिये नल, नील आदि वानर-शिल्पियों ने पत्थरों पर राम नाम लिख कर उनसे पुल चुनना शुरू किया तो वह पुल बहा नहीं) । अन्यथा कहीं आज तक किसी ने सुना या देखा है कि बडे-बडे वजनदार पत्थर तैरते रहे हों ! ॥२०॥
(क्रमशः)
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