🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*(ग्रन्थ ६) वेदविचार*
*= उपासनाकाण्ड की उपयोगिता =*
.
*जो इन कर्मनि कौं करै, तजै काम आसक्ति ।*
*सकल समप्यैं ईश्वरहि, तब ही उपजै भक्ति ॥१६॥*
जो इन कर्मों को निरासक्त(निष्काम) होकर पूर्ण करता है और इनकी पूर्णता ईश्वर को समर्पित करता चलता है तो एक दिन इन कर्मों से शुद्ध हुए उसके निर्मल हृदय में राम-भक्ति का उदय हो जाता है ॥१६॥
.
*कर्मपत्र महिं निकसै, भक्ति जु पुष्प सुबास ।*
*नवधा बिधि निस दिन करै, छांडि कामना आस ॥१७॥*
यों एक दिन उन सत्कर्म रूपी पत्तों में से भक्ति(उपासना) रूपी सुगन्धित पुष्प खिल उठते हैं । तब उस साधक को फल(आसक्ति) की भावना त्याग कर दिन-रात निरन्तर नवधा भक्ति का अभ्यास(साधना करना चाहिये ॥१७॥ (क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें