#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू चरितामृत(भाग-२)*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*= विन्दु ९६ =*
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उक्त वर्णन में अष्टाँग - योग तथा हठ योग के सूत्र दादू वाणी में हैं, यह निश्चय हो जाता है । योग के मुख्य भेद चार ही माने जाते हैं - अष्टांग योग, हठ योग, लय योग, मंत्र योग । दो का परिचय ऊपर दे दिया गया है । अब आगे लय योग तथा मंत्र योग के सूत्र भी दादू वाणी में विद्यमान हैं, यह दिखाने की चेष्टा की जाती है -
*- लय योग -*
“दादू लै लागी तब जानिये, जे कब हूं छूट न जाय ।
जीवत यूं लागी रहै, मूवाँ मंझ समाय ॥
राम कहै जिस ज्ञान से, अमृत रस पीवे ।
दादू दूजा छाड़ि सब लै लागी जीवे ॥”
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*- नाद विन्दु -*
“नाद विन्दु से घट भरे, सो जोगी जीवे ।
दादू काहे को मरै, राम रस पीवे ॥
शब्द सुई सुरति धागा, काया कंथा लाय ।
दादू जोगी जुग जुग पहिरे, कबहू फाट न जाय ॥”
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*- मंत्र योग -*
*१ - गुरुमंत्र -* “दादू अविचल मंत्र, अमरमंत्र, अखैंमंत्र, अभयमंत्र, राममंत्र निजसार । सजीवन मंत्र, सवीरजमंत्र, सुन्दरमंत्र, शिरोमणिमंत्र, निर्मलमंत्र निराकार ॥ अलखमंत्र, अकलमंत्र, अगाधमंत्र, अपारमंत्र, अनन्तमंत्र राया । नूरमंत्र, तेजमंत्र, ज्योतिमंत्र, प्रकाशमंत्र, परममंत्र पाया ॥ उपदेश दीक्षा(दादू गुरु राया) ॥
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२ - सौंजमंत्र - “सत्यराम, आत्मा वैष्णव, सुबुद्धिभूमि, संतोषस्थान, मूलमंत्र, मनमाला, गुरु तिलक, सत्यसंयम, शीक सुचिता, ध्यानधोती, कायाकलश, प्रेमजल, मनसा मंदिर, निरंजनदेव, आत्मा पाती, पुहप प्रीति, चेतना चन्दन, नवधानाम, भावपूजा, मतिपात्र, सहज समपर्ण, शब्द घंटा, आनन्द आरती, दया प्रसाद, अनन्य एकदशा, तीर्थ सत्संग, दान उपदेश, व्रतस्मरण, षट्गुण ज्ञान, अजपा जाप, अनुभव आचार, मर्यादाराम, फल-दर्शन, अभि अन्तर सदा निरंतर, सत्य सौंज दादू बर्तते, आत्मा उपदेश, अंतर गत पूजा ॥
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*संशय नाशक मंत्र -*
“जे चित्त चहुँटे राम से, सुमिरण मन लागै ।
दादू आतम जीव का, संशय सब भागै ॥”
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*दुःख नाशक मंत्र -*
“दादू पिवका नाम ले, तौ मिटे शिर साल ।
घड़ी मुहूरत चालणां, कैसे आवे काल्ह ॥”
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*स्नान मंत्र -*
“दादू राम नाम जलं कृत्त्वा, स्नानं सदा जितः ।
तन मन आतम निर्मलं, पंच भू पापं गतः ॥”
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*निर्विष होने का मंत्र -*
“दादू निर्विष नाम से, तन मन सहजैं होय ।
राम निरोगा करेगा, दूजा नाहीं कोय ॥”
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*मोहन मंत्र -*
“दादू राम नाम निज मोहनी, जिन मोहे करतार ।
सुर नर शंकर मुनि जना, ब्रह्मा सृष्टि विचार ॥”
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*नित्य जीवन प्राप्ति मंत्र -*
“निर्विकार निज नाम ले, जीवन इहै उपाय ।
दादू कृत्रिम काल है, ताके निकट न आय ॥”
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*शांति प्राप्ति मंत्र -*
“दादू कहतां सुनतां राम कहि, लेतां देतां राम ।
खातां पीतां राम कहि, आत्म कमल विश्राम ॥”
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*चिन्ता नाशक मंत्र -*
“हरि चिन्तामणि चिन्ततां, चिन्ता चित की जाय ।
चिन्तामणि चित में मिल्या, तहँ दादू रह्या लुभाय ॥”
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*काल भय नाशक मंत्र -*
“सहज शून्य मन राखिये, इन दोनों के मांहिं ।
लै समाधि रस पीजिये, तहां काल भय नांहिं ॥”
अष्टांग योग की समाधि और लयरूप पराभक्ति इन दोनों में स्थित होकर ब्रह्मानन्द रूप रस का पान करने पर काल भय नहीं रहता है ।
(क्रमशः)
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