रविवार, 16 अप्रैल 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/१३-४) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*= श्रवनूं की गतिविधि =*
*श्रवनूं ठगियौ नाद ठगि, राग रंग बहु भांति ।*
*बाद्य गीत बत चातुरी, सुनै दिवस अरु राति ॥१३॥* 
श्रवनूं को नाद(मधुर संगीत) ठग ने ठगना शुरू किया, वह नाना प्रकार के वाद्य संगीतों में अपने को लगाकर, दुनियाँ की बातों में फँसा रहकर अपने को सुखी मानने लगा ॥१३॥ 
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*= नैनूं की गतिविधि =*
*नैनूं ठग्यौ सु रूप ठगि, श्वेत रक्त अरु श्याम ।*
*हरित पीत निरखत रहै, निरखत छिन छिन बाम ॥१४॥*
नैनू को रूप ठग ने अपने वश में कर ठगना शुरू किया । वह सफ़ेद, लाल, काले, हरे, पीले रूप रंगों को दिन-रात देखने में सुख मानने लगा और दिनों दिन उस कुमार्ग पर चलने का अधिक से अधिक अभ्यस्त हो गया ॥१४॥
(क्रमशः)

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