मंगलवार, 30 मई 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/१३-४) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*= चौपाई =*
*बीरानन्द तिन्है गुरु कीन्हा ।*
*जिनि इन्द्रिय मन बसि कर लीन्हा ।*
*काम क्रोध मद मत्सर माया ।*
*सूरा तन करि मारि गिराया ॥१३॥*
कुशलानन्दजी के गुरु का नाम बीरानन्द था । जिन्होंने योगाभ्यास द्वारा अपने मन और इन्द्रियों पर पूर्ण निग्रह कर रखा था । अपनी सात्त्विक वीरता से । उन्होंने काम, क्रोध, मद, लोभ, अभिमान तथा माया को(जो कि मनुष्य के प्रबल आन्तरिक शत्रु हैं) मार गिरया था ॥१३॥
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*धीरानन्द भयौ गुरु तिनकौ ।*
*धीरज सहित ध्यान है जिनकौ ।*
*धीरज सहित निरंजन ध्यायौ ।*
*धन्य धन्य सब काहू गायौ ॥१४॥*
उनके गुरु का नाम है धीरनन्दजी । वे धैर्यपूर्वक ध्यानाभ्यास में लगे रहते थे और अभ्यास करते-करते ब्रह्म का साक्षात्कार कर लिया था । उनके चरित्र को देखकर सभी उन्हें धन्य-धन्य कहने लगे ॥१४॥
(क्रमशः)

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