गुरुवार, 4 मई 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/५०-१) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*= गुरु का उपदेश =* 
*तब सद्गुरु इनि सबनि कौ, भाख्यो निर्मल ज्ञान ।* 
*पिता पितामह परपिता, धरिये ताकौ ध्यान ॥५०॥* 
तब सद्गुरु ने फिर कभी आकर निर्मल ज्ञान का उपदेश किया कि आप लोग अपने पिता, पितामह(दादा) तथा प्रपितामह(पड़दादा) का ध्यानाभ्यास कीजिये ॥५०॥      
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*= शिष्यों की जिज्ञासा =*
*सब मिलि पूछी सद्गुरुहिं, पिता पितामह कौंन ।* 
*ताके आगै परपिता, करहि कवन बिधि गौंन ॥५१॥*
सबने मिलकर गुरुदेव से पूछा - "प्रभो ! हमारा पिता कौन है ? पितामह कौन है ? तथा प्रपितामह कौन है ?" ॥५१॥ 
(क्रमशः)

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