शुक्रवार, 2 जून 2017

= माया का अंग =(१२/३९-४०)

#daduji

卐 सत्यराम सा 卐 
*श्री दादू अनुभव वाणी* 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
*माया का अँग १२*
दादू बूड रह्या रे बापुरे१, माया गृह के कूप ।
मोह्या कनक रु कामिनी, नाना विधि के रूप ॥ ३९ ॥
माया ने कनक, कामिनी आदि अनेक प्रकार के रूपों से तुच्छ१ जीवों को मोहित करके गृह - कूप में डाल दिया है । इसीलिए विषय - जल में निमग्न हो रहे हैं ।
.
दादू स्वाद लाग सँसार सब, देखत परलय जाइ ।
इन्द्री स्वारथ साच तज, सबै बंधाणे आइ ॥ ४० ॥
इन्द्रिय स्वार्थ वश सत्य परमात्मा का चिन्तन त्याग कर तथा शिश्नेन्द्रिय के स्वाद में लग कर प्राय: सभी सँसार के प्राणी देखते - देखते परमार्थ से भ्रष्ट होकर विषय - जाल में बंधते जा रहे हैं ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें