🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*तिनहूँ चिदानन्द गुरु कीन्हौ ।*
*चेतन ब्रह्म आपु जिनि चीन्हौ ।*
*जाकी सक्ति जगत सब होई ।*
*चेतन करि बरतावै सोई ॥४१॥*
उनके भी गुरु का नाम था चिदानन्दजी । उनहोंने उस चेतन ब्रह्म का स्वयं साक्षात्कार कर लिया था,जिसकी शक्ति से प्रेरित होकर इस समग्र संसार की सृष्टि होती है और जड होते हुए भी जिससे सहारा पाकर चैतन्य-पूर्ण व्यवहार करती है ॥४१॥
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*तिनी गुरु कियौ अद्भूतानन्द ।*
*अद्भुत आशय निकट न द्व्न्दा ।*
*अद्भुत गति मति अद्भुत वानी ।*
*अद्भुत लीला किनहुं न जाँनी ॥४२॥*
उन्होंने अपना गुरु बनाया था अद्भूतानन्द जी को । इनका हृदय इतना अद्भुत था कि सर्दी-गर्मी, भूख-प्यास आदि द्वंद्व उनके निकट आकर उन्हें सता नहीं पाते थे । इसी तरह उनकी क्रियाएँ, मति तथा वाणी एवं लीला ऐसी ही अद्भुत थीं ॥४२॥
(क्रमशः)
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