🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*तिन कौ गुरु है तत्व स्वरूपं ।*
*नाम पुष्कलानन्द अनूपं ।*
*पुष्कल प्रगट करी जिनि बांनी ।*
*पुष्कल कीरति सब जग जांनी ॥२९॥*
उनके गुरु थे ब्रह्मरूप तथा अपने में बेजोड़ श्रीपुष्कलानन्दजी । इन्होंने घूम-घूम कर वाणी से जहाँ-तहाँ पुष्कल(अत्यधिक) उपदेश किया जिससे जगत् में उनकी पुष्कल(बहुत ज्यादा) कीर्ति फैली ॥२९॥
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*तिन को गुरु सब रहित बिकारा ।*
*अखिलानन्द अनन्त अपारा ।*
*अखिल विश्व मैं महिमा ऐसी ।*
*बरनी जाइ न काहू कैसी ॥३०॥*
उनके गुरु थे श्री अखिलानन्दजी । वे निर्विकार थे, अनन्त गुणशाली थे अतः उनका कोई पार नहीं पा सकता था । सम्पूर्ण संसार में इनकी साधुता की महिमा ऐसी फैली हुई थी कि फिर आज तक कीई अन्य की वैसी महिमा नहीं फैल सकी ॥३०॥
(क्रमशः)
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