रविवार, 4 जून 2017

= माया का अंग =(१२/४३)

 #daduji

卐 सत्यराम सा 卐 
*श्री दादू अनुभव वाणी* 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
*माया का अँग १२*
*विरक्तता* 
दादू झूठा सँसार, झूठा परिवार, झूठा घरबार, 
झूठा नर नारि, तहां मन माने । 
झूठा कुल जात, झूठा पितु मात, झूठा बन्धु भ्रात, 
झूठा तन गात, सत्य कर जाने ॥ 
झूठा सब धँध, झूठा सब फँध, झूठा सब अँध, 
झूठा जाचन्ध१, कहा मग छाने । 
दादू भाग, झूठ सब त्याग, 
जाग रे जाग, देख दिवाने ॥ ४३ ॥ 
४३ में मिथ्या को त्याग कर सत्य को प्राप्त करने की प्रेरणा कर रहे हैं - हे माया मद से अँधे प्राणी ! परिवार, घर, कुल, कुल के नर - नारियाँ, जाति, पिता, माता, भ्राता, बान्धव, शरीर, शरीर के अँग, व्यापार और सँबँधादि सभी सँसार मिथ्या है । हे अज्ञानी ! तुझे जन्माँध१ के समान कुछ भी नहीं दीखता, इस मिथ्या सँसार - मार्ग की क्या खोज कर रहा है ? अरे दीवाने ! मोह निद्रा से जाग, झट - पट जाग और सँपूर्ण मिथ्या - मायिक प्रपँच को त्याग कर सत्य ब्रह्म की प्राप्ति के मार्ग में आगे बढ़ कर परब्रह्म का साक्षात्कार कर ।
(क्रमशः)


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