रविवार, 4 जून 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/२३-४) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*प्रेमानन्द भयौ गुरु ताकौ ।*
*प्रेम भक्ति करि दृढ मन चाकौ ।*
*आठ हु पहर मग्न ही रहै ।*
*देहादिक की सुधि नहीं लहै ॥२३॥*
उनके गुरु का नाम था श्री प्रेमानन्दजी । इनका ह्रदय प्रेमा भक्ति में ही दृढ़ता से लगा रहता था । ये आठों पहर(दिन-रात) उसी प्रेमा भक्ति में डूबे रहते थे । इन्हें अपने देहरक्षादि की जरा भी चिन्ता नहीं रहती थी ॥२३॥
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*= दोहा =*
*तिन कौ गलितानन्द गुरु, गलित रहै हरिनाम ।*
*गलित भयौ गोविन्द सौं, निशि दिन आठौं जाम ॥२४॥*
उनके भी गुरु श्री गलितानन्दजी अहर्निश हरिनामचिन्तन में ही लीन रहते थे । रात-दिन आठों पहर मानों भगवान् से एकाकार(तन्मय) हो गये थे ॥२४॥
(क्रमशः)

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