शुक्रवार, 16 जून 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/४५-६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
*तिन कौ गुरु सबहिंन ते न्यारौ ।* 
*नाम पूरनानन्द पियारौ ।* 
*सब बिधि पूरन परम निधाना ।* 
*बाहरि भीतरि पूरन ज्ञाना ॥४५॥* 
उनके गुरु थे पूर्णानन्द जी । जो सबसे अलग-थलग रहते थे । वे सर्वथा पूर्णकाम थे परमनिधान(ब्रह्मस्थ) थे । वे बाहर-भीतर पूर्ण ज्ञान से परिपूर्ण थे ॥४५॥ 
.
*तिन कौ गुरु सब के सिर-मौरा ।* 
*ऐसौ कोऊ सुन्यौ न औरा ।*
*ब्रह्मानन्द नाम तिहिं कहिये ।*
*तिन कैं मिले ब्रह्म ह्वै रहिये ॥४६॥*
पूर्णानन्द जी के गुरु थे स्वनामधन्य श्री ब्रह्मानन्द जी । वे जगत् में सर्व-श्रेष्ठ थे, अनुपम थे । उनके सत्संग में जो गया वह निश्चित ब्रह्मज्ञान को पा गया ॥४६॥ 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें