🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुन-उत्पत्तिनीसांनी(ग्रन्थ ११) =*
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*= चौदह लोकों की उत्पत्ति =*
*सत्य लोक ब्रह्मा रहै, ताकैं ब्रह्मांनी ।*
*बिष्णु बसै बैकुण्ठ मैं, ठाकुर ठाकुरांनी ॥७॥*
ब्रह्मा को रच कर उसे अपनी धर्मपत्नी ब्रह्माणी के साथ रहने के लिये ब्रह्मलोक का निर्माण किया । विष्णु को रहने के लिये वैकुण्ठ लोक दिया, जहाँ वे अपनी पत्नी लक्ष्मी के साथ स्वामी(अधिपति=ठाकुर) के रप में रहते हैं ॥७॥
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*रूद्र रहै कैलाश मैं, भव लिये भवांनी ।*
*इन्द्र रहै अमरावती, जाकै इन्द्रांनी ॥८॥*
रूद्र(शंकर) के लिये कैलाश का निर्माण हुआ, जहाँ वे अपनी पत्नी पार्वती के साथ निवास करते हैं । और इन्द्र(देवताओं के अधिपति) का निर्माण कर अपनी इन्द्राणी के साथ रहने के लिये उन्हें स्वर्गलोक दिया गया ॥८॥
(क्रमशः)
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