गुरुवार, 1 जून 2017

= ७५ =

卐 सत्यराम सा 卐
सांई दीया दत घणां, तिसका वार न पार ।
दादू पाया राम धन, भाव भक्ति दीदार ॥ 
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साभार ~ Rajnish Gupta

*(((((((((( सबसे बड़ा धन ))))))))))*
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बहादुर सिंह गाँव के संपन्न किसानों में से एक थे। भरा पूरा घर था, किसी चीज़ की कमी ना थी। कमी थी तो बस एक चीज़ की, भगवान ने जितना दिया उससे कभी खुश नहीं रहते थे। *बहादुर सिंह को हमेशा भगवान से यही शिकायत रहती थी कि भगवान ने मेरे लिए कुछ नहीं किया।* मैंने अपनी मेहनत से बड़ी हवेली बनायी है लेकिन भगवान ने मेरे कामों को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। *मैंने तो जीवन में जो पाया है खुद ही करके पाया है।* 
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समय का पहिया तेजी से घूमता गया, बचपन गुजरा, जवानी गयी, अब बहादुर सिंह 80 वर्ष के एक वृद्ध थे। लेकिन अकड़ आज भी वही पुरानी, पैसा था तो अकड़ तो होनी ही थी। उम्र के साथ शरीर में कमियाँ आने लगीं। बहादुर सिंह को अब अपने कान से बहुत कम सुनाई पड़ता था। बोलो कुछ और वो सुनते कुछ और। नाती, पोते हंसी उड़ाते थे कि बावा को सुनाई नहीं देता – कहो कुछ और, ये सुनते हैं कुछ और।
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बहादुर सिंह गुस्से में भरे हुए एक दिन डॉक्टर के यहाँ पहुँचे, और बोले – डॉक्टर बाबू, कान से सुनाई बहुत कम पड़ता है, आप जल्द से जल्द मेरा इलाज कर दीजिये। डॉक्टर ने बहादुर सिंह के कुछ मेडिकल चेकअप कराये, और दो दिन बाद उनसे रिपोर्ट ले जाने को कहा। 2 दिन बाद बहादुर सिंह फिर से डॉक्टर के पास अपनी रिपोर्ट लेने गए तो डॉक्टर ने एक रिपोर्ट और एक बिल उनको दिया। बिल में करीब 50 हजार रुपये की रकम लिखी थी। 
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उन दिनों 50 हजार बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। बहादुर सिंह ने डॉक्टर से बिल के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने बताया – महाशय, आपकी रिपोर्ट के अनुसार, आपके कान में गंभीर समस्या है और इसके इलाज में 50 हजार रुपये लगेंगे। आप जल्दी ही बिल भर दें तो मैं ऑपरेशन कर दूंगा। बस इतना सुनते ही बहादुर सिंह की आँखों से आँसू निकल पड़े। डॉक्टर बहादुर सिंह जैसे कड़क इंसान की आँखों में आंसू देख के बोले – क्या हुआ बिल की रकम बहुत ज्यादा है क्या ?
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बहादुर सिंह करूणा से भरे स्वर में बोले – आज मेरी उम्र 80 साल है और मेरा जीवन ज्यादा नहीं बचा है, फिर भी कान ठीक कराने के लिए मुझे 50 हजार रुपयों की जरुरत पड़ी। लेकिन उस ईश्वर ने 80 साल में मुझसे कुछ नहीं माँगा, मैं 80 सालों से इन कानों से सुनता आया हूँ लेकिन ईश्वर ने तो कभी मुझसे कुछ माँगा ही नहीं, और थोड़े से बचे जीवन के लिए मुझे 50 हजार रुपये देने होंगे।
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*कैसी विडंबना है इस अमूल्य शरीर को पाकर भी हम ईश्वर को गाली देते हैं कि मुझे कुछ नहीं दिया। लेकिन ईश्वर कहता है कि मैंने सबको बराबर दिया है, लोग अपने कर्मों से, अपनी बुद्धि से आगे बढ़ते हैं। मित्रों, आपका शरीर दुनियाँ का सबसे बड़ा धन है। ईश्वर ने आपको जन्म से इस शरीर को देकर धनी बनाया है लेकिन हम हमेशा ईश्वर को कोसते रहते हैं कि हमें ये नहीं मिला या वो नहीं मिला।*
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*आँखों की कीमत उस इंसान से पूछो जिसको दिखाई ना देता हो…..*
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*कान की कीमत उससे पूछो जिसने आज तक कोई शब्द सुना ही ना हो…..*
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*हाथों की कीमत उससे पूछो जो बेचारा हाथ ना होने के कारण ठीक से खा भी नहीं पाता….*
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*पैरों की कीमत उससे पूछो जो बेचारा वैशाखियों पर चलता है…..*
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*सोचिये क्या बीतती होगी ऐसे लोगों पर ? कितना आत्मविश्वास डगमगाता होगा ऐसे लोगों का ? कितनी बार वो खुद को असहाय महसूस करते होंगे ? और एक हम हैं शरीर से धनी होने के बावजूद जीवन भर कुछ नहीं कर पाते बस उस ईश्वर को कोसने में लगे रहते हैं।* 

*(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))*

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