शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

= साँच का अंग =(१३/३७-९)

 #daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*श्री दादू अनुभव वाणी* 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*साँच का अंग १३*
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*स्मरण चेतावनी* 
सांचा नाम अल्लाह का, सोइ सत्य कर जाण । 
निश्चल कर ले बँदगी, दादू सो परमाण ॥ ३७ ॥
३७ - ३९ में भगवद् भक्ति करने के लिए सावधान कर रहे हैं - ईश्वर का नाम ही सत्य है । उसी को मुक्ति का सच्चा साधन जान कर, मन को स्थिर करके अखँड भक्ति करो । उक्त प्रकार की भक्ति ही प्रामाणिक मानी जाती है । 
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आवट१ कूटा२ होत है, अवसर बीता जाइ ।
दादू कर ले बँदगी, राखणहार खुदाइ ॥ ३८ ॥ 
छल २ आदि के द्वारा प्राणियों के हृदय में हलचल१ मच रही है । इसी स्थिति में मानव जीवन का सुअवसर नष्ट हो रहा है । जो बचा समय है, उसमें तो भगवान् की भक्ति कर लो । साँसारिक दु:खों से रक्षा करने वाले एक मात्र भगवान् ही हैं । 
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इस कलि केते ह्वै गये, हिन्दू मुसलमान ।
दादू सांची बँदगी, झूठा सब अभिमान ॥ ३९ ॥ 
इस कलियुग में अपने बाह्य धर्म का अभिमान रखने वाले अनेक हिन्दू और मुसलमान हो गये हैं । किन्तु वह सम्पूर्ण अभिमान भगवत् प्राप्ति का सच्चा साधन नहीं सिद्ध हुआ । भगवत् प्राप्ति का सच्चा उपाय तो भगवान् की भक्ति ही है ।
(क्रमशः)


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