🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= बावनी(ग्रन्थ १३) =*
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*दद्दा दमगहि दिलकौं धोई,*
*दिलमैं दर्द मिलैगा सोई ।*
*दहदिस तोहि होई दीदारा,*
*देइ अभैपद सिरजनहारा ॥३९॥*
*(द)* यदि साधक अपनी इन्द्रियों का यम-नियमादि द्वारा दमन करके स्वचित्त को निर्मल(निर्विकार) बनाकर ईश्वर के लिये अपने ह्रदय में विरह-व्यथा पैदा कर ले तो उसे एक दिन सर्वत्र दसों दिशाओं में ईश्वर दिखायी देंगे । और वह सृष्टि का निर्माता परब्रह्म उसे अभय(मोक्ष) प्रदान कर देगा ॥३९॥
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*धध्धा धाम धणीका कीसै,*
*धूध मार जो नान्ह पीसै ।*
*ध्यान धरे धुनिसौं ले लावै,*
*नाहीं कछु तहां मन मानै ॥४०॥*
*(ध)* साधक को ब्रह्मसायुज्य प्राप्त हो सकता है, यदि वह दृढ़ निश्चय कर सूक्ष्म चिन्तन करता रहे । जब वह ध्यानयोग का अभ्यास करे, अनहद नाद में लय-साधना करे तब वह स्वयं तो मोक्षपद प्राप्त कर ही लेगा, दुनिया भी उसको महापुरुष समझकर उसका यशोगान करेगी ॥४०॥
(क्रमशः)
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