🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुरुकृपा-अष्टक(ग्रन्थ १६) =*
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*= छप्पय =*
*सद्गुरु ब्रह्मस्वरूप,*
*रूप धारहिं जग मांहीं ।*
*जिनके शब्द अनूप,*
*सुनत संशय सब जांहीं ॥*
*उर मंहि ज्ञान प्रकाश,*
*होत कछु लागै न बारा ।*
*अन्धकार मिटि जाइ,*
*कोटि सूरय उजियारा ।*
*दादू दयाल दँह दिश प्रगट,*
*झगरि द्वै पख थकी ।*
*कहि सुन्दर पंथ प्रसिद्ध यह,*
*संप्रदाय परब्रह्म को ॥१॥*
समाप्तोSयं गुरुकृपाष्टक-ग्रन्थ ॥
यद्यपि मेरे सद्गुरु ब्रह्मरूप हैं, उनका धर्मकाय ही संसार में नित्य रहता है, परन्तु वे कभी-कभी जगत् का त्राण करने के लिये शरीर (नामकाय धारण करके भी यहाँ पधारते हैं । जिनके उपदेश सुनते ही जिज्ञासु के भ्रमजाल(द्वैत-प्रपंञ्च) विनष्ट हो जाते हैं उसके अन्तःकरण में ब्रह्मज्ञान का प्रकाश जगमगा उठता है । इसमें कोई विलम्ब नहीं लगता । उसका अविद्यान्धकार तत्काल नष्ट हो जाता है ।
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और उसका हृदय करोड़ों सूर्यों के प्रकाश के समान ज्ञान-प्रकाश से आलोकित हो उठता है । महाराज श्री सुन्दरदासजी कहते हैं - मेरे सद्गुरु श्रीदादूदयालजी का मत-उपदेश सर्वत्र स्पष्ट है, परन्तु अपने मतिभ्रम के कारण इधर-उधर के दोनों पक्ष(हिन्दू-मुसलमान) उनके विषय में व्यर्थ ही विवाद करते हैं । यह प्रसिद्ध दादू-सप्रदाय(दादूपन्थ) एकमात्र परब्रह्म का ही(उपदेश करनेवाला) सम्प्रदाय है ॥१॥
= गुरुकृपा-अष्टक समाप्त हुआ =
(क्रमशः)

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