मंगलवार, 26 सितंबर 2017

= गुरु-उपदेश-ज्ञानाष्टक(ग्रन्थ १७- गी.-१) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरु-उपदेश-ज्ञानाष्टक(ग्रन्थ १७) =*
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*= गीतक =*
*उपदेश श्रवण सुनाइ अद्भुत,*
*हृदय ज्ञान प्रकाशियौ ।* 
*चिरकाल काउ अज्ञान पूरन,*
*सकल भ्रम तम नाशियौ ॥*
*आनन्ददायक पुनि सहायक,*
*करत जन निःकांम है ।* 
*दादू दयाल प्रसिद्ध सद्गुरु,*
*ताहि मोर प्रनांम हैं ॥१॥* 
इस तरह, सद्गुरु ने अद्भुत(उत्तम राममन्त्र का) उपदेश मेरे कानों में(गोपनीय रखने के लिये गुप्तरूप से) सुना दिया, जिसने मेरे अन्तःकरण को ब्रह्मज्ञान से आलोकित कर दिया । 
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इसके फलस्वरूप, मेरा चिरकाल(जन्मजन्मान्तर) का समग्र अज्ञान, तथा अनित्य-दुःख-अनात्म पदार्थों में नित्य-सुखादि का भ्रम एवं अविद्यारूपी अन्धकार विनष्ट हो गया । 
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वे सद्गुरु आनन्द(नित्य-सुख) के दाता और माता-पिता एवं कल्याणमित्र की तरह विपत्ति में सदा साथ देने वाले हैं, (और ज्ञानोपदेश द्वारा) सबको निष्काम(संसार के प्रति वासना-रहित बना देते हैं । 
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ऐसे सन्त-परम्परा में प्रसिद्ध, सद्गुरु श्रीदादूदयालजी महाराज को मेरा बार-बार दण्डवत्-प्रणाम है ॥१॥ 
(क्रमशः)

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