🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= राम-अष्टक(ग्रन्थ १९) =*
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*प्रथम ही आप तें मूल माया करी ।*
*बहुरि वह कुर्ब्बि करि त्रिगुण ह्वै विस्तरी ॥*
*पंच हू तत्व तैं रूप अरु नामजी ।*
*तुम सदा एक रस रामजी रामजी ॥२॥*
इस सृष्टि के निर्माण की आप को जब सात्त्विक इच्छा हुई(‘एकोSहं बहु स्याम्’) तो आपने प्रकृति को प्रेरणा दी, वह विकार को प्राप्त होकर तीन गुणों(सत्त्व, रजस्, तमस्) के रूप में विस्तार को प्राप्त हुई ।
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फिर पाँच तत्वों(पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश) से यह नाम-रूपात्मक सृष्टि उत्पन्न हुई । हे भगवन् ! इस तरह यह समग्र सृष्टि प्रकृति की विकृतिमात्र है, आप तो हमेशा एकरस(कूटस्थ) रहने वाले हैं ॥२॥
(क्रमशः)

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