🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= नाम-अष्टक(ग्रन्थ २०) =*
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*ब्रह्म तूं विष्णु तूं, रूद्र तूं वेष जी ।*
*इन्द्र तूं चन्द्र तूं, सूर तूं सेष जी ॥*
*धर्म तूं कर्म तूं, काल तूं देशवे ।*
*केशवे केशवे, केशवे केशवे ॥४॥*
हे केशव ! तूं ही इस संसार में विशेष शक्ति का अधिष्ठान विष्णु देवता है, ब्रह्मा देवता है, रूद्र देवता है ।(कहाँ तक कहा जाय जितने भी अवतार हुए हैं वे सब आपकी ही शक्ति से ओतप्रेत होकर इस जगत् के सञ्चालन में अपना कर्तव्य पूरा करते हैं ।)
देवराज इन्द्र, चन्द्रमा, सूर्य, शेषनाग आदि सभी आप ही के दिये बल से अपना कार्य कर रहे हैं । इस सृष्टि के संसरण में सहायक अवस्था, देश, काल, धर्म, कर्म आदि सब कुछ आप ही हैं ॥४॥
(क्रमशः)

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