रविवार, 22 अक्टूबर 2017

= ११८ =

卐 सत्यराम सा 卐
*गुण आकार जहाँ गम नाहीं, आपै आप अकेला ।*
*दादू जाइ तहाँ जन जोगी, परम पुरुष सौं मेला ॥* 
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साभार ~ Kaushik Chaitanya

#अकेलापन इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है ! और #एकांत इस संसार में सबसे बड़ा वरदान !! ये दो समानार्थी दिखने वाले शब्दों के अर्थ में आकाश पाताल का अंतर है।
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#अकेलेपन में छटपटाहट है तो #एकांत में आराम है।
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#अकेलेपन में घबराहट है तो #एकांत में शांति। जब तक हमारी नज़र बाहरकी ओर है तब तक हम #अकेलापन महसूस करते हैं और जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी तो # एकांत अनुभव होने लगता है।
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ये जीवन और कुछ नहीं वस्तुतः #अकेलेपन से #एकांत की ओर एक यात्रा ही है !! ऐसी #यात्रा जिसमें #रास्ता भी हम हैं, #राही भी हम हैं और #मंज़िल भी हम ही हैं !!

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