卐 सत्यराम सा 卐
*गुण आकार जहाँ गम नाहीं, आपै आप अकेला ।*
*दादू जाइ तहाँ जन जोगी, परम पुरुष सौं मेला ॥*
===============================
साभार ~ Kaushik Chaitanya
#अकेलापन इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है ! और #एकांत इस संसार में सबसे बड़ा वरदान !! ये दो समानार्थी दिखने वाले शब्दों के अर्थ में आकाश पाताल का अंतर है।
.
#अकेलेपन में छटपटाहट है तो #एकांत में आराम है।
.
#अकेलेपन में घबराहट है तो #एकांत में शांति। जब तक हमारी नज़र बाहरकी ओर है तब तक हम #अकेलापन महसूस करते हैं और जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी तो # एकांत अनुभव होने लगता है।
.

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें