卐 सत्यराम सा 卐
*परम कथा उस एक की, दूजा नांही आन ।*
*दादू तन मन लाइ कर, सदा सुरति रस पान ॥*
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साभार ~ Vidya Bhaskar Dwivedi
रात्रि के अंतिम प्रहर में एक बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने उसकी गर्दन जकड़ ली और बोला - मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा. यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हे भी इसी भस्म में मिला दूंगा.
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अघोरी बोला - एक कथा सुनो, रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था. वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे. थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए. राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की. गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ?
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राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं? ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तब तक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर २७ चतुर्युग बीत चुके हैं और २८ वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी.
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इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो- आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है - मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की यदि १० वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये तो वापस आनेपर उसकी आयु ६६ वर्ष की होगी पर धरती पर ४०लाख वर्ष बीत चुके होंगे.
यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गैमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी-
There was a young girl named Miss Bright,
Who could travel much faster than light
She departed one day in an Einstein way
And came back previous night
प्रेत यह सुनकर चकित था, बोला - यह कथा नहीं है, यह तो पौराणिक विज्ञान है, हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है. तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे. मैं अब सभी शवों और प्रेतों को यह विज्ञानकथा बताऊंगा ताकि वो राष्ट्रीय शरीर धारण कर सकें. अनेक वामपंथी यह कहते फिरते हैं की यदि इतना ही उन्नत था हमारा प्राचीन तो प्रमाण क्या है? अब उनको देता हूँ यह प्रमाण.
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अघोरी मुस्कुराता रहा और प्रेत वायु में विलीन हो गया.
हम विश्व की सबसे उन्नत संस्कृति हैं यह विश्वास मत खोना, आपस में जाति, मत, पूजा पद्धति को लेकर उलझने वालों को देश का शत्रु मानो..
इससे यह भी स्पष्ट है की निश्चय ही ब्रह्मलोक कदाचित हमारी आकाशगंगा से भी कहीं अधिक दूर है | यह कथा पृथ्वी से ब्रहम लोक तक विशिष्ट गति से जाने पर समय के अंतर को बताती है। आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी कहा कि यदि एक व्यक्ति प्रकाश की गति से कुछ कम गति से चलने वाले यान में बैठकर जाए तो उसके शरीर के अंदर परिवर्तन की प्रक्रिया प्राय: स्तब्ध हो जायेगी | यदि एक दस वर्ष का व्यक्ति ऐसे यान में बैठकर देवयानी आकाशगंगा (Andromedia Galaz) की ओर जाकर वापस आये तो उसकी उमर में केवल ५६ वर्ष बढ़ेंगे किन्तु उस अवधि में पृथ्वी पर 40 लाख वर्ष बीत गये होंगे।
काल के मापन की सूक्ष्मतम और महत्तम इकाई के वर्णन को पढ़कर दुनिया का प्रसिद्ध ब्राह्माण्ड विज्ञानी Carl Sagan अपनी पुस्तक Cosmos में लिखता है -
"विश्व में एक मात्र हिन्दू धर्म ही ऐसा धर्म है, जो इस विश्वास को समर्पित है कि ब्रह्माण्ड के सृजन और विनाश का चक्र सतत चल रहा है। तथा यही एक धर्म है जिसमें काल के सूक्ष्मतम नाप परमाणु से लेकर दीर्घतम माप ब्रह्म दिन और रात की गणना की गई, जो ८ अरब ६४ करोड़ वर्ष तक बैठती है तथा जो आश्चर्यजनक रूप से हमारी आधुनिक गणनाओं से मेल खाती है।"
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