🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*= सहजानन्द(ग्रन्थ २७) =*
.
*ना मैं मरौं गले मैं पासा ।*
*मुये मुक्ति की करौं न आशा ॥*
*ना मैं गलौं हिबांले मांहीं ।*
*स्वर्ग लोक कौं बंछौं नांहीं ॥१५॥*
न मैं गले में फाँसी लगाकर मरना चाहता हूँ कि मरने पर मुझे मुक्ति मिल जायगी । न मैं मुक्ति के लिये हिमालय में जाकर अपने शरीर को गलाना ही चाहता हूँ; क्योंकि मुझे स्वर्ग की इच्छा बिल्कुल नहीं है, जैसा कि पहले के कुछ तपस्वी करते आये हैं ॥१५॥
.
*ना मैं लटकि अधौमुख झूलौं ।*
*धूम पान करि मैं नहिं भूलौं ॥*
*ना बन मैं बसि करौं तपस्या ।*
*कंद मूल की करौं हिंस्या१ ॥१६॥*
(१. ‘हिंस्या’ और ‘तपस्या’ शब्दों में संकीर्ण अनुप्रास है ।)
न मैं इसके लिये औंधे मुँह लटक कर तपस्या करना चाहता हूँ, न मैं गीली लकड़ी जलाकर उसके धुएँ में साधना करता हूँ । न वन में एकान्त में रहकर तपस्या करता हूँ, न मैं अन्न छोड़कर कन्द-मूल खाने की प्रतिज्ञा कर कोई जीवहिंसा करने की इच्छा करता हूँ ॥१६॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें