सोमवार, 8 जनवरी 2018

= सहजानन्द(ग्रन्थ २७-२१/२२) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= सहजानन्द(ग्रन्थ २७) =*
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*पहलैं गोरख कर्म दिढ़ावा ।*
*दत्त२ मिले तन सहज बतावा ॥*
*सहज सुभाव भरथरी लीधा ।*
*गोपीचन्द सहज ही सीधा ॥२१॥*
(२. दत्त-दत्तात्रेय महामुनि, बड़े भारी योगी हुए हैं । दक्षिण देश में इनका बड़ा ही मान है । भर्त्रहरि और गोपीचंद हठयोग राजयोग से अमरकाय हो गये हैं ।)
सिद्ध गोरखनाथ को पहले हठयोग का भ्रम था कि इसी के सहारे परम तत्व मिलेगा; परन्तु एक समय उनको गुरु महामुनि दत्तात्रेय मिले, उन्होंने उनको सही मार्ग दिखाया । तब से वे भी सहज साधना का अभ्यास करने लगे । गोपीचन्द भरथरी ने भी सहज साधना से ही भगवतत्व को प्राप्त किया था ॥२१॥
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*नामदेव३ जब सहज पिछांनां ।*
*आतमराम सकल मैं जांनां ॥*
*दास कबीर४ सहज सुख पाया ।*
*सब मैं पूरण ब्रह्म बताया ॥२२॥*
(३. नामदेव भगवद्भक्त जाति के छीपा थे ।)
(४.कबीर जी प्रसिद्ध भगवद्भक्त रामानन्दजी के शिष्यों में हुए ।)
सन्त नामदेव ने जब सहज साधना का दृढ़ अभ्यास कर लिया तभी व्यापक आत्मराम का उन्हें बोध हुआ । यही हाल सन्त कबीर का है, उन्होंने भी सहज साधना से ही पूर्ण ब्रह्म की व्यापकता का साक्षात्कार किया था ॥२२॥
(क्रमशः)

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