🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९)*
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*राम बिमुख नर होंहिगे,*
*सर्प गुहेरा नोल ।*
*और जंतु कहि को गनै,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥१५॥*
जो इस जन्म में भगवान् का भजन नहीं करेंगे वे अपने जन्मों में साँप, गुहेरा(एक विषधर सारीसर्प) या नेवला बनेंगे या इनसे भी हीन कोटि के जन्तुओं की योनि में जन्म लेंगे, अतः ऐसी निष्कृष्ट योनि से बचने के लिये तूँ निरन्तर हरिस्मरण कर ॥१५॥
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*मौतिसु आई नीयरी,*
*भयौ श्याम तें धोल१ ।*
*अब का सोचत बाबरे,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥१६॥*
{१. धोल = सफ़ेद(बाल हो गये - वा रुधिर सूख गया)}
तेरी मौत धीरे-धीरे तेरे नजदीक आ रही है । तेरे बाल काले थे सफ़ेद होने लगे हैं(बुढापे की निशानी प्रकट हो रही है), अरे मूढ ! अब तो ध्यान दे और कुछ सुकृत के नाम पर निरन्तर भजन में ध्यान लगा ॥१६॥
(क्रमशः)
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