शनिवार, 27 जनवरी 2018

= हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९-११/१२) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९)*
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*सुकृत कोऊ ना कियौ,*
*राच्यौ झंझट झोल ।*
*अंति चल्यौ सब छाडिकै,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥११॥*
जीवनभर तूने कोई सुकृत नहीं किया, स्त्रीपुत्रादि के लिये नाना झंझट-झगड़े किये । परन्तु अन्त में सब कुछ छोड़कर अकेले ही जाना पड़ेगा, अतः निरन्तर हरिस्मरण कर(यही अन्त में साथ चलेगा) ॥११॥
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*सुतौ है बहु जन्म कौ,*
*अज हूं आँखि न खोल ।*
*आबत है दिन नीयरौ,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥१२॥*
बहुत जन्मों से तूं अज्ञानान्धकार में पड़ा हुआ था । अब तो चेत ! मृत्यु के दिन नजदीक आ रहे हैं, अतः निरन्तर हरिस्मरण कर ॥१२॥
(क्रमशः)

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