रविवार, 28 जनवरी 2018

= हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९-१३/४) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९)*
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*मूंछ मरोरत डोलई,*
*ऐंठ्यौ फिरत ठठोल ।*
*ढेरी ह्वै हैं राख की,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥१३॥*
अभिमान में मूँछें ऐंठते फिरते हो, अन्त में राख की ढेर हो जाओगे, यह ऐंठना काम न आयगा, अतः निरन्तर हरि स्मरण कर ॥१३॥
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*पैंडो ताक्यौ नरक को,*
*सुनि सुनि कथा कपोल१ ।*
*बूड़े काली धार मैं,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥१४॥*
(१.कपोल=कल्पित ।)
अज्ञानी मनुष्यों ने स्त्री पुत्रादिक की कपोलकल्पित(झूठी सच्ची) बातें सुनकर उनके बहकावे में आकर की गयी क्रियाओं से अपने लिये नरक का रास्ता खोल लिया । अन्त में उनके काले कारनामे उन्हें ले डूबे । अतः तूँ उनसे सीख के और निरन्तर भगवान् का भजन कर ॥१४॥
(क्रमशः)

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