मंगलवार, 30 जनवरी 2018

= हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९-१७/८) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९)*
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*माल मुलक हय गय घने,*
*कामिन करत कलोल ।* 
*कतहू विलायके२,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोले ॥१७॥*
{२. ‘बिलायके’ क्रिया माल मुल्क से सम्बन्धित है(कि मरने पर ये साथ नहीं जाते ।) परन्तु इसके सम्बन्ध में मृत पुरुष से होने से अर्थ ठीक होता है} 
बड़े-बड़े राजाओं और सेठ साहूकारों ने अपने लिये करोड़ों रुपया इकठ्ठा किया, बड़े-बड़े साम्राज्य बनाये, हाथी, घोड़े, गौ आदि इकठ्ठे किये, सुन्दर स्त्रियों के साथ विलास किया । वे सारे साधन मृत्यु के समय कहीं के कहीं नष्ट हो गये(मृत्यु के समय कोई भी काम नहीं आता) केवल भगवद्भजन ही ऐसे समय में काम आता है ॥१७॥ 
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*मोटे मीर कहावते,*
*करते बहुत डफोल३ ।* 
*मरद गरद४ में मिलि गये,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥१८॥* 
(३. डफोल= ढोंग, आडम्बर, डींग करनेवाले - “बदामि न ददामि ते” कहने  वाले ।)   (४. गरद=गर्द, मिट्टी ।) 
बड़े-बड़े बली जो अपनी वीरता का दम भरते थे और नाना प्रकार का गर्व करते थे, मौत के समय उनकी मर्दानी धुल में मिल गयी । अतः तूँ भ्रम में न पड़, निरन्तर हरिस्मरण कर ॥१८॥ 
(क्रमशः)

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