बुधवार, 8 अगस्त 2018

= सुन्दर पदावली(५. राग विहागड़ौ ५/२) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= ५. राग विहागड़ौ =*
(५) 
(तिताला) 
*जौ तूं चतुर प्रबीन जांन अति अबकै करि निर्बाहा ।* 
*छाडि कलपना राम नाम भजि यातैं और न लाहा ॥३॥* 
यदि तुम बहुत समझदार हो तो मेरा यह विनय स्वीकार कर इस बार इसकी रक्षा कर लो । तथा अन्य सांसारिक ऊहापोह छोड़कर केवल राम नाम का भजन करो । इससे अधिक अन्य कोई लाभ तुझे होने वाला नहीं है ॥३॥ 
*चंचल चपल चाहि माया की यह गुलांम-गति काहा ।* 
*सुन्दर सँमुझि बिचार आपुकौं तू तौ है पतिसाहा ॥४॥* 
तुम माया की पराधीनवृत्ति(गुलाम गति) क्यों स्वीकार कर रहे हो । तुम अपने विषय में स्वयं विचार करो; क्योंकि तुम अतिशय चतुर विचारक माने जाते हो । अर्थात् विचारकों में बादशाह हो ॥४॥ 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें