मंगलवार, 7 अगस्त 2018

(१५)

#daduji

卐 सत्यराम सा 卐
*कहाँ तैं एक अनेक दिखावा,* 
*कहाँ तैं सकल एक ह्वै आवा ॥*
*दादू कुदरत बहु हैरानां,* 
*कहाँ तैं राख रहे रहमाना ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. ५३)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१५) 
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा । 
ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥१५॥ 
दंडकवन में संयमी(राम), स्वस्थ, नरेशों के शत्रु(परशुराम) को पराजित करनेवाले, मानवयोनि वाले व्यक्तियों(मनुष्यों) को अपने निष्कलंक कीर्ति से आनन्दित करनेवाले – ने प्रवेश किया ॥१५॥ 
Rama, who is self-controlled, the vanquisher of Parsurama and who was attainable and enjoyed by sinless humans, reached Dandaka forest.(15) 
(१५) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।
हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥१५॥ 
सदा आनंददायी जननायक श्रीकृष्ण नन्दनवन को जा पहुँचे, जो इंद्र के अतिआनंद का श्रोत था - वही इन्द्र जो आकर्षक काया वाली अहिल्या का प्रेमी था, जिसने(छलपूर्वक) अहिल्या की सहमति पा ली थी ॥१५॥ Krishna,who is the eternal joy and the leader of all, reached The nandanavana, which was the delight of Indra who seduced, Ahalya with attractive body.(15)
(क्रमशः)

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