बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

= सुन्दर पदावली(११. राग देवगन्धार २/१) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= ११. राग देवगन्धार =*
(२) 
*अब तौ ऐसैं करि हम जांन्यौ ।* 
*जो नानात्व प्रपंच जहांलौं मृगतृष्णा कौ पांन्यौ ॥(टेक)* 
अब हमने गुरुदेव के उपदेशों द्वारा यह जाना कि यह जगत् का समस्त नानात्व विस्तार मृगतृष्णा के जल के समान मिथ्या है ॥टेक॥ 
*रजु कौ सर्प देषि रजनी मैं भ्रम तैं अति भय आंन्यौ ।* 
*रवि प्रकाश जब भयौ प्रात ही रजु कौ रजु पहिचांन्यौ ॥१॥* 
कभी मैं रज्जु को भ्रम से सर्प समझकर अतिशय भय मान बैठा । परन्तु सूर्य का प्रकाश होने पर उस रज्जु का यथार्थ(रज्जुत्व) समझ पाया ॥१॥
(क्रमशः)

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