#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= १०. राग काल्हेड़ो =*
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(३)
(गुजरती भाषा में)
*तम्हे सांभलिज्यौ श्रुति सार वाक्य सिद्धांतना ।*
*एतां सर्ब खल्विदं ब्रह्म वचन छै अंतना ॥(टेक)*
तुम यह समझ लो कि सन्तों के ये वचन वेदान्त के सिद्धान्त वचनों के तुल्य ही हैं । ये सब वेदान्तशास्त्र के सिद्धान्त वचन "सर्वं खल्विदं ब्रह्म" के व्याख्यान ही हैं ॥टेक॥
*एतां जगत नथी त्रय काल एक जगदीस छै ।*
*इम सर्प रज्जु नै ठामि न बिश्वाबीस छै ॥१॥*
यह त्रिकालाबाधित सत्य है - "एक ब्रह्म ही सत्य है, शेष समस्त संसार मिथ्या है ।" जैसे अन्धकारावृत रज्जु में सर्प प्रतीत होता है वैसी ही सच्चाई जगत् के सत्यत्व है ॥
(क्रमशः)
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