रविवार, 14 अक्टूबर 2018

= सुन्दर पदावली(११. राग देवगन्धार ३/२) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= ११. राग देवगन्धार =*
(३) 
*देव इन्द्र बिधि शिव बैकुंठहिं ये पद ग्रंथनि गांना ।* 
*जीवत पद सौं परचै नाहीं मूये पद किन जांना ॥२॥* 
यद्यपि शास्त्र में अन्य पदों का भी स्थान स्थान पर वर्णन है; जैसे - देवपद, इन्द्रपद, ब्रह्मपद, शिवपद, वैकुण्ठपद । 
*पद प्रसिद्ध पूरण अविनाशी पद अद्वैत बषांना ।* 
*पद है अटल अमर पद कहिये पद आनन्द न छांना ॥३॥* 
आज जब जीवित व्यक्तियों को ही लोक नहीं पहचानते, तो मरने पर कौन किस को पहचानता है ॥३॥ 
*पद षोजे तें सब पद बिसरै बिसरै ज्ञान रु ध्याना ।* 
*पद कौ तात्पर्य सो पावै सुन्दर पद हिं समांना ॥४॥* 
यह प्रसिद्ध अद्वैत पद सब का पूरक एवं अविनाशी कहा है । यह स्थायी अमर पद है, इसमें कोई परिवर्तन होने वाला नहीं है । इस पद पर पहुँचने पर आनन्द किसी से छिपा नहीं रह सकता ॥४॥
(क्रमशः)

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