#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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आदि अंत लौं आय कर, सुकृत कछू ना कीन्ह ।
माया मोह मद मत्सरा, स्वाद सबै चित दीन्ह ॥१०॥
मैंने इस सँसार में जन्म धारण करके जन्म से आज तक कुछ भी पुण्य कार्य नहीं किया, प्रत्युत धनादि के मोह में, शरीरादि के गर्व में, प्रतिकूल व्यक्तियों से ईर्ष्या में और इन्द्रिय - विषय - जन्य आनन्द में ही अपना मन लगाया है ।
(क्रमशः)
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