शनिवार, 23 मार्च 2019

= सुन्दर पदावली(१७ राग जैजैवन्ती - २/१) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १७. राग जैजैवन्ती(२/१)=*
*आपुकौ संभारै जब तूं ही सुष सागर है ।* 
*आपकूं बिसारै तब तूं ही दुःख पाइ है ॥(टेक)* 
*तूं ही जब आवै ठौर दूसरौ न भासै और ।* 
*तेरी ही चपलता तें दूसरौ दिषाइ है ॥१॥* 
आत्म चिंतन करने पर तुझे अपना हृदय ‘सुख का सागर’ ज्ञात होगा । वैसा न करने पर तुझे सर्वत्र दुःख प्रतीत होगा ॥टेक॥ 
तूँ जब अपनी स्थिति में आ जाता है तब किसी दूसरे को यहाँ कैसे मिलना है ? (रे मन !) तेरी ही चंचलता के कारण तुझे यह द्वैत दिखायी दे रहा है ॥१॥
(क्रमशः)

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